श्रीमद्भगवतम्: Srimad Bhagavatam (Set of 5 Volumes)
ग्रन्थके प्रारम्भमें परमगुरुदेव नित्यलीला प्रविष्ट श्रीश्रीमद् भक्तिसिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी ठाकुर 'प्रभुपाद' द्वारा भागवतके सम्बन्धमें प्रदत्त वक्तृताके कुछ अंशोको 'श्रीभागवत तात्पर्य' शीर्षकके अन्तर्गत तथा उसके बाद मदीय सतीर्थवर नित्यलीला प्रविष्ट श्रीश्रीमद्भक्तिवेदान्त वामन महाराज द्वारा पद्मपुराणसे संगृहीत 'श्रीमद्भागत माहात्म्य' एवं 'श्रीमद्भागवत सप्ताहके श्रवणकी महिमा और पारायण विधि' नामक दो प्रबन्धोंके अनुवादको प्रस्तुत किया गया है।
श्रीमद्भागवतके इस हिन्दी संस्करणका एक वैशिष्ट्य यह है कि इसमें प्रत्येक स्कन्धकी कथाका सार दिया गया है। जिससे पाठकोंको उस स्कन्धकी विषय वस्तुसे अवगत होनेमें सुविधा है। इसके अतिरिक्त इस संस्करणमें श्लोकका अनुवाद अभिन्न व्रजेन्द्रनन्दन श्रीचैतन्य महाप्रभु द्वारा स्थापित शक्ति-परिणामवाद समन्वित अचिन्त्यभेदाभेद सिद्धान्त पर आधारित है।
इस विशाल ग्रन्थमें भ्रम-प्रमादवशतः कुछ त्रुटि विच्युतियोंका रह जाना अस्वाभाविक नहीं है। सुधी पाठकों द्वारा उनका संशोधनपूर्वक पाठ करनेसे हमलोग आनन्दित होंगे।